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Teacher's Day 2019: जब हार्ट फेल्योर से ज‍िंदगी की जंग हार गए थे डॉ सर्वपल्‍ली राधाकृष्‍णन...!

टीचर्स डे (Teachers Day 2019) 5 सितंबर को मनाया जाता है. शिक्षक दिवस को यादगार बनाने के लिए छात्र अपने टीचर्स को गिफ्ट और शुभकामनाएं देते हैं.

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Teachers Day 2019: टीचर्स को इस तरह कह सकते हैं Happy Teachers Day.

Teacher's Day 2019: हर साल 5 सितंबर का दिन शिक्षकों और छात्रों के लिए खास दिन होता है. 5 सितंबर, वह दिन जि‍सका हर छात्रा और साथ ही साथ शिक्षक भी इंतजार करता है. जी नहीं, हम परीक्षाओं की बात नहीं कर रहे हम बात कर रहे है शिक्षक दिवस यानी Teacher's Day की. भारत में हर साल की 5 सितंबर को शिक्षक दि‍वस (Happy Teachers Day) मनाता है. दरअसल यह दि‍न देश के पहले उप-राष्‍ट्रपति और दूसरे राष्‍ट्रपति डॉ सर्वपल्‍ली राधाकृष्‍णन (Sarvepalli Radhakrishnan) के जन्मदिन को मनाने का एक सम्मानजक तरीका है. उनका जन्म 5 सितंबर 1888 में हुआ था. भारत रत्न डॉ सर्वपल्‍ली राधाकृष्‍णन (Bharat Ratna Sarvepalli Radhakrishnan) ने बतौर शिक्षक 40 साल तक देश की सेवा की. उन्हें बचपन से ही कि‍ताबों का शौक था. आज के दिन हम सभी उनके सम्मान में मनाते हैं. लेकि‍न क्या आप जानते हैं कि देश की इतनी सेवा करने वाले भारत रत्न डॉ सर्वपल्‍ली राधाकृष्‍णन (Bharat Ratna Sarvepalli Radhakrishnan) का देहांत कैसे हुआ था. 

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दरअसल यह दुखद घड़ी आई थी 17 अप्रैल 1975 में. इस दि‍न चेन्नई में लंबी बीमारी की वजह से उनका निधन हो गया था. लेक‍िन उनके नि‍धन की असली वजह हार्ट फेल्योर (heart failure) बताई जाती है. 

भारत रत्न डॉ सर्वपल्‍ली राधाकृष्‍णन के नि‍धन की खबर को The New York Times ने इस शीर्षक के साथ छापा था -

''Radhakrishnan of India, Philosopher, Dead at 86''

इस खबर की पहली लाइने कुछ इस तरह थीं-

''MADRAS, India Thursday, April 17 (AP)—Dr. Sarvepalli Radhakrishnan, philosopher and statesman who was President of India from 1962 to 1967, died here today of heart failure in a nursing home. He was 86 Years old.''

तो क्यों न एक नजर में हार्ट फेल्योर के बारे में पूरी जानकारी ली जाएं (Heart failure - Symptoms and causes)

क्या है हार्ट फेल्योर (What is Heart failure)

दरअसल उम्र के साथ ही साथ दिल भी बूढ़ा और कमजोर होने लगता है. और बढ़ जाता है उसके फेल होने का खतरा. हार्ट फेल्योर (दिल का कमजोर हो जाना) आज भी भारत में महामारी की तरह फैलता जा रहा है. इसकी बड़ी वजह है दिल की मांसपेशियों का कमजोर हो जाना है. अक्सर लोगों को लगता है कि हार्ट फेल्योर का मतलब दिल का काम करना बंद कर देने से है जबकि ऐसा कतई नहीं है. हार्ट फेल्योर में दिल की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं जिससे वह रक्त को प्रभावी तरीके से पंप नहीं कर पाता. इससे ऑक्सीजन और जरूरी पोषक तत्वों की गति सीमित हो जाती है.' कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सी ए डी), हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट वॉल्व बीमारी, कार्डियोमायोपैथी, फेफड़ों की बीमारी, डायबिटीज, मोटापा, शराब पीने, दवाइयों का सेवन और फैमिली हिस्ट्री के कारण भी हार्ट फेल होने का खतरा रहता है.

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पहचानें हार्ट फेल्योर के लक्षण (Heart failure - Symptoms) 

इस बीमारी के लक्षणों के प्रति जागरुकता बढ़ाना बहुत जरूरी है. इसके लक्षण कुछ इस तरह के हो सकते हैं- 
- सांस लेने में तकलीफ, 
- थकान, 
- टखनों, 
- पैरों और पेट में सूजन, 
- भूख न लगना, 
- अचानक वजन बढ़ना, 
- दिल की धड़कन तेज होना, 
- चक्कर आना 
- और बार-बार पेशाब जाना इसके प्रमुख लक्षण हैं. 

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हार्ट फेल्योर फेक्ट फाइल ( Facts about Heart failure in Hindi) 

पश्चिमी देशों के मुकाबले भारत में यह बीमारी एक दशक पहले पहुंच गई है. बीमारी होने की औसत उम्र 59 साल है. बीमारी की जानकारी न होना, ज्यादा पैसे खर्च होना और बुनियादी ढ़ांचे की कमी के कारण हार्ट फेल्योर के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है. साल 1990 से 2013 के बीच हार्ट फेल्यिर के मामलों में करीब 140 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है. लाइफस्‍टाइल में बदलाव और तनाव के कारण युवक भी तेजी से इसकी चपेट में आ रहे हैं. अमेरिका और यूरोप की तुलना में भारत में रोगी 10 साल युवा हैं. 

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कैसे बचें हार्ट फेल्योर से ( Heart failure prevention) 

लाइफस्‍टाइल में बदलाव लाकर इस बीमारी से बचा जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि इस बीमारी के लक्षणों को नजरअंदाज न करने और समय रहते बीमारी का पता लगा कर इलाज शुरू करने और लाइफस्‍टाइल में बदलाव से इस बीमारी का खतरा दूर हो सकता है.

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