कहीं आपको तो नहीं हो गया है UTI, ये हैं लक्षण, जानें कैसे बचें इससे
हिलाएं यूटीआई और योनि में खुजली को लेकर भ्रमित रहती हैं.
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन को आमतौर पर यूटीआई के नाम से जाना जाता है यह बैक्टीरिया, फंगस और वायरस के कारण होने वाला इंफेक्शन है. यूटीआई को व्यक्ति के बीच संक्रमण के सबसे आम प्रकारों में से एक माना जाता है. यह गर्भाशय, किडनी, ब्लैडर और मूत्रमार्ग में कहीं भी हो सकता है. हालांकि, मूत्रमार्ग और ब्लैडर में होने वाला इंफेक्शन यूटीआई का सबसे आम प्रकार है.
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ये हैं यूटीआई के लक्षण
1.स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रागिनी अग्रवाल कहती हैं, यूटीआई का पहला लक्षण बार-बार टॉयलेट आना है. यदि आपको बार-बार टॉयलेट जाने की जरूरत पड़ रही है, या आपको ऐसा महसूस होता है कि आपको बार-बार टॉयलेट आ रहा है, तो आप यूटीआई से पीड़ित हो सकते हैं.
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2. यूटीआई से पीड़ित होने पर आप पेट में दर्द भी महसूस कर सकते हैं. पेट के निचले भाग में दर्द होना आपके यूटीआई से पीड़ित होने का लक्षण हो सकता है.
3. टॉयलेट करते समय दर्द महसूस करना यूटीआई का एक और लक्षण है.
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4. कभी-कभी टॉयलेट के दौरान खून आना भी यूटीआई का एक लक्षण है.
5. यूटीआई का लक्षण ठंड लगने के साथ बुखार होना भी है. यह शरीर के ऊपरी भाग में यूटीआई होने का लक्षण हो सकता है. इसके अलावा पीठ दर्द के कारण भी ऐसा हो सकता है.
यूटीआई से अलग है वजाइनल इंफेक्शन
डॉ. रागिनी का कहना है कि कई महिलाएं यूटीआई और योनि में खुजली को लेकर भ्रमित रहती हैं. योनि संक्रमण की वजह से पेशाब करते समय जलन महसूस होती है और आमतौर पर यह यूटीआई नहीं होता. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कई वृद्ध महिलाएं आवर्ती यूटीआई का अनुभव करती हैं. वह कहती है, इन महिलाओं को टॉयलेट करने में मुश्किल होती है. उन्होंने कहा कि यूटीआई के लक्षण हर उम्र में अलग-अलग हो सकते हैं.
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UTI के कारण
डॉ. रागिनी कहती हैं, गंदे सार्वजनिक शौचालय का उपयोग करना यूटीआई का प्रमुख कारण हो सकता है. बहुत ध्यान रखते हुए सार्वजनिक शौचालय का प्रयोग करें. कम पानी पीने, लंबे समय तक टॉयलेट रोकने की कोशिश करने और बार-बार सेक्स पार्टनर बदलने के कारण महिलाओं को यूटीआई हो सकता है. यूटीआई के लिए किडनी स्टोन भी एक कारण है. यूटीआई को रोकने के लिए आपको हमेशा कंडोम के साथ यौन संबंध बनाना चाहिए.
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यूटीआई का इलाज
ज्यादातर मामलों में, यूटीआई का इलाज एंटीबायोटिक्स और एंटीवायरल के साथ किया जाता है. प्रावइेट पार्ट में यूटीआई को ओरल एंटीबायोटिक्स के जरिए ठीक किया जा सकता है, जबकि शरीर के बाहरी हिस्से पर यूटीआई को इंट्रावीनस एंटीबायोटिक्स के साथ ठीक किया जाता है. इंट्रावीनस एंटीबायोटिक दवाओं को रोगी की नसों में डाला जाता है.
क्रैनबेरी जूस को यूटीआई के इलाज के लिए एक प्रभावी घरेलू उपचार माना जाता है.
(डॉ. रागिनी अग्रवाल वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ और प्रमुख, डब्ल्यू प्रतिक्षा अस्पताल, गुड़गांव)
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