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प्रोटीन से भरपूर कुट्टू का आटा देता है कई फायदे, यहां पढ़ें

फाइबर से भरपूर और ग्लिसेमिक इंडेक्स कम होने से यह डायब्टीज वालों के लिए बेहतर विकल्प है. कुट्टू के आटे का ग्लिसेमिक इंडेक्स 47 होता है. 

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Buckwheat Nutrition: सेलियक रोग से पीड़ितों को भी इसे खाने की सलाह दी जाती है.

Story Highlights

Health Benefits Of Kuttu Ka Atta: कुट्टू का आटा आपने अक्सर व्रत या ऐसे ही खास मौकों पर खाया होगा. कुट्टू के आटे से आम तौर पर पूडियां या पकोड़े बनाए जाते हैं. असल में कुट्टू का आटा अनाज नहीं, बल्कि फल से बनता है और अनाज का बेहतर विकल्प होने के साथ पौष्टिक तत्वों भरपूर भी होता है. इतना ही नहीं कुट्टू का आटा सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है. कुट्टू का आटा प्रोटीन से भरपूर होता है. यह उन लोगों के लिए अच्छा विकल्प है जिन्हें गेहूं से एलर्जी (wheat allergy) हो. कुट्टू का आटा सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है. यही वजह है कि व्रत के दौरान इसे खास महत्व दिया जाता है. यह कई बीमारियों से भी लड़ने की ताकत रखता है. इतना ही नहीं वजन कम करने के आपके इरादे में भी कुट्टू का आटा मददगार साबित हो सकता है. तो चलिए एक नजर में देखते हैं कुट्टू के आटे से होने वाले फायदों के बारे में- 

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Buckwheat Nutrition: कुट्टू के आटे की खूबियां

कुट्टू के आटे में काफी मात्रा में मैग्नीशियम, विटामिन-बी, आयरन, कैल्शियम, फॉलेट, जिंक, कॉपर, मैग्नीज और फासफोरस भरपूर मात्रा में होता है. इसमें फाइटोन्यूट्रिएंट रूटीन भी होता है जो कोलेस्ट्रोल और ब्लड प्रेशर को कम करता है. सेलियक रोग से पीड़ितों को भी इसे खाने की सलाह दी जाती है. (Read- डायबिटीज को दूर भगा देंगी ये 4 आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां

 

कुट्टू का आटा सेहत को देता है कई फायदे- Kuttu Ke Aate Ke Fayde


- कुट्टू 75 फीसदी जटिल काबोहाइड्रेट है और 25 फीसदी हाई क्वालिटी प्रोटीन, वजन कम करने में यह बेहतरीन मदद करता है. इसमें अल्फा लाइनोलेनिक एसिड होता है, जो एचडीएल कोलेस्ट्रोल को बढ़ाता है और एलडीएल को कम करता है.

- कुट्टू के आटे में मिलावट की जा सकती है और इसे विश्वसनीय स्रोत से ही खरीदना चाहिए. पिछले साल का बचा हुआ आटा भी प्रयोग नहीं करना चाहिए, इससे फूड-प्वॉयजनिंग हो सकती है.

- यह अघुलनशील फायबर का अच्छा स्रोत है और गॉलब्लैडर में पत्थरी होने से बचाता है. अमेरिकन जरनल ऑफ गेस्ट्रोएनट्रोलॉजी के मुताबिक, 5 फिसदी ज्यादा घुलनशील फायबर लेने से गाल ब्लैडर की पत्थरी होने का खतरा 10 फीसदी कम हो जाता है.

- फाइबर से भरपूर और ग्लिसेमिक इंडेक्स कम होने से यह डायब्टीज वालों के लिए बेहतर विकल्प है. कुट्टू के आटे का ग्लिसेमिक इंडेक्स 47 होता है. (Read- Diabetes: ब्‍लड शुगर को कंट्रोल करता है धनिया, जानें धनिए के फायदे)

 

कुट्टू का आटा दे सकता है नुकसान भी, रखें ध्यान - 

चूंकि कुट्टू के आटे को चबाना आसान नहीं होता, इसलिए इसे छह घंटे पहले भिगो कर रखा जाता है, फिर इन्हें नर्म बनाने के लिए पकाया जाता है, ताकि आसानी से पच सके. चूंकि इसमे ग्लूटन नहीं होता इसलिए इसे बांधने के लिए आलू का प्रयोग किया जाता है. कुट्टे के आटे को आहार में शामिल करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखें- 

- कुट्टू के आटे की पूरियां बनाने के लिए हाईड्रोजेनरेट तेल या वनस्पति का प्रयोग न करें, क्‍योंकि यह इसके मेडिकल तत्वों को खत्म कर देता है. 

- कुट्टू से बनी पूरियां ज्यादा कुरकुरी होती हैं. पूरी और पकोड़े तलने की बजाय इससे बनी रोटी खाएं. 

- आप चाहें तो कुट्टू के आटे से इडली भी बन सकते हैं. (Read- Weight Loss: अब वजन घटाएगी हल्‍दी, बैली फैट को करेगी कम)

 

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