गोवा की महिलाओं में ‘पैसिव स्मोकिंग’ बन रही है इस बीमारी की वजह
महिलाएं नहीं कर रहीं SMOKE, बावजूद उसके इस बीमारी की हो रही हैं शिकार.
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फेफड़े कैंसर से पीड़ित 40 प्रतिशत महिलाएं नहीं करती हैं धूम्रपान : एनजीओ
Story Highlights
1984 में गोवा में कराए गए एक सर्वे के मुताबिक करीब 50 फीसद लोगों ने धूम्रपान करने की बात कही थी, जबकि 2018 में धूम्रपान करने वाले लोगों की संख्या गिरकर 10 प्रतिशत हो गई है. सालकर ने बताया, ‘‘ लेकिन हम चिंतित हैं कि धूम्रपान करने वाली महिलाओं की संख्या में कुछ बढ़ोतरी हुई है.’'
भारत का सबसे फेमस टूरिस्ट प्लेस कहा जाने वाले शहर गोवा से कैंसर से जुड़ी एक खबर आई है, जिसमें बताया गया कि गोवा में फेफड़े के कैंसर से जूझ रहीं करीब 40 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं जो धूम्रपान नहीं करती हैं. इसका मतलब यह है कि वे ‘पैसिव स्मोकिंग’ की शिकार हुई हैं. नेशनल ऑर्ग नाइजेशन फॉर टोबैको इरेडिकेशन (एनओटीई) ने बताया कि राज्य में धूम्रपान करने वाली महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है.
पिछले तीन दशकों में राज्य के लोगों में धूम्रपान करने वालों का कुल प्रतिशत कम हुआ है. एनओटीई इंडिया के अध्यक्ष और ऑन्कोलॉजिस्ट डॉक्टर शेखर सालकर ने बताया कि गोवा में फेफड़े के कैंसर से जूझ रही करीब 40 प्रतिशत महिलाएं धूम्रपान नहीं करती हैं. आगे कहा कि,‘‘ इसका मतलब यह है कि या तो वे अपने पति या पार्टनर (जो धूम्रपान करते हैं) की पैसिव स्मोकिंग का शिकार हुईं हैं या कोई और कारण है.’’
उन्होंने दावा किया कि 1984 में गोवा में कराए गए एक सर्वे के मुताबिक करीब 50 फीसद लोगों ने धूम्रपान करने की बात कही थी जबकि 2018 में धूम्रपान करने वाले लोगों की संख्या गिरकर 10 प्रतिशत हो गई है. सालकर ने बताया, ‘‘ लेकिन हम चिंतित हैं कि धूम्रपान करने वाली महिलाओं की संख्या में कुछ बढ़ोतरी हुई है.’'
तंबाकू खाने और इसके प्रभावों पर सर्वे करने वाले एनजीओ ने बताया कि जबाव देने वालों में से तंबाकू सेवन करने वाले 90 प्रतिशत लोग चिंबेल और जुरियानगर में झुग्गी इलाकों के रहने वाले हैं. यह जानकारी तंबाकू विरोधी एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने दी है.
भारत का सबसे फेमस टूरिस्ट प्लेस कहा जाने वाले शहर गोवा से कैंसर से जुड़ी एक खबर आई है, जिसमें बताया गया कि गोवा में फेफड़े के कैंसर से जूझ रहीं करीब 40 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं जो धूम्रपान नहीं करती हैं. इसका मतलब यह है कि वे ‘पैसिव स्मोकिंग’ की शिकार हुई हैं. नेशनल ऑर्ग नाइजेशन फॉर टोबैको इरेडिकेशन (एनओटीई) ने बताया कि राज्य में धूम्रपान करने वाली महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है.
पिछले तीन दशकों में राज्य के लोगों में धूम्रपान करने वालों का कुल प्रतिशत कम हुआ है. एनओटीई इंडिया के अध्यक्ष और ऑन्कोलॉजिस्ट डॉक्टर शेखर सालकर ने बताया कि गोवा में फेफड़े के कैंसर से जूझ रही करीब 40 प्रतिशत महिलाएं धूम्रपान नहीं करती हैं. आगे कहा कि,‘‘ इसका मतलब यह है कि या तो वे अपने पति या पार्टनर (जो धूम्रपान करते हैं) की पैसिव स्मोकिंग का शिकार हुईं हैं या कोई और कारण है.’’
उन्होंने दावा किया कि 1984 में गोवा में कराए गए एक सर्वे के मुताबिक करीब 50 फीसद लोगों ने धूम्रपान करने की बात कही थी जबकि 2018 में धूम्रपान करने वाले लोगों की संख्या गिरकर 10 प्रतिशत हो गई है. सालकर ने बताया, ‘‘ लेकिन हम चिंतित हैं कि धूम्रपान करने वाली महिलाओं की संख्या में कुछ बढ़ोतरी हुई है.’'
तंबाकू खाने और इसके प्रभावों पर सर्वे करने वाले एनजीओ ने बताया कि जबाव देने वालों में से तंबाकू सेवन करने वाले 90 प्रतिशत लोग चिंबेल और जुरियानगर में झुग्गी इलाकों के रहने वाले हैं. यह जानकारी तंबाकू विरोधी एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने दी है.
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