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हाई BP और पथरी से महिलाओं में बढ़ रहा है इस बीमारी का खतरा, हर साल 6 लाख मौतें
हाई BP और पथरी से महिलाओं में बढ़ रहा है इस बीमारी का खतरा, हर साल 6 लाख मौतें
बीमारी का समय रहते पता चल जाए तो इसकी गति को खानपान में बदलाव, धूम्रपान बंद कर, वजन नियंत्रित और दवाइयों की मदद से कम किया जा सकता है...
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अक्सर हमने सुना है कि एक बीमारी का अगर समय रहते इलाज न किया जाए, तो उससे कई और बीमारियां पैदा हो जाती हैं. बदलते लाइफस्टाइल में कई तरह की बीमारियां हमें घेर लेती हैं. गुर्दे की बीमारी से पुरुष नहीं बल्कि महिलाएं ज्यादा परेशान हैं. दुनियाभर में समस्या बनकर उभरी 'क्रोनिक किडनी डिजीज' (CKD) का समय पर इलाज न होने से असमय मृत्यु के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं.
आंकड़े बताते हैं कि इस बीमारी से दुनियाभर में करीब 19.5 करोड़ महिलाएं ग्रस्त हैं और तकरीबन हर साल इस बीमारी से छह लाख महिलाओं की मौत हो रही है. क्रोनिक किडनी डिजीज होने के कई कारण हैं जिसमें सबसे प्रमुख मधुमेह और मोटापा है. इसके अलावा हाई बीपी, किडनी से जुड़ा पारिवारिक इतिहास, पथरी और एंटीबायोटिक दवाइयों का जरुरत से ज्यादा इस्तेमाल शामिल है.
लखनऊ के एसजीपीजीआईएमएस के डॉ. (प्रोफेसर) नारायण प्रसाद का कहना, "सीकेडी की रोकथाम और इसे बढ़ने से रोकने के लिए ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को नियंत्रित करना सबसे बढ़िया तरीका हो सकता है. हालांकि वर्तमान स्थिति में जब लोग अस्वस्थ जीवनशैली बिता रहे हैं, तो इन स्थितियों को संभालना ज्यादा मुश्किल हो जाता है."
सीकेडी के बारे में महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा जानकारी देकर उन्हें इस बीमारी से बचाया जा सकता है. अगर बीमारी का समय रहते पता चल जाए तो इसकी गति को खानपान में बदलाव, धूम्रपान बंद कर, वजन नियंत्रित और दवाइयों की मदद से कम किया जा सकता है, लेकिन अगर किडनी इतनी क्षतिग्रस्त हो गई हो कि वह काम करने में सक्षम न हो तो रोगी को डायलिसिस की सलाह दी जाती है.
डॉ. प्रसाद ने कहा, "जब यह बीमारी एडवांस स्टेज में पहुंच जाती है, तो पेरिटोनियल डायलिसिस बहुत प्रभावी होता है. यह इलाज का सुरक्षित व सुविधाजनक तरीका है, जिससे रोगी को रोजमर्रा के काम करने में दिक्कत नहीं होती. यह खासतौर से महिलाओं के लिए ज्यादा फायदेमंद है क्योंकि भारतीय परिवेश में आमतौर पर महिलाएं ही परिवार की देखभाल करती हैं. इसके अलावा, डायलिसिस से जुड़ी जटिलताएं कम होती हैं और यह रोगी की जिंदगी की गुणवता में सुधार करने में मदद करता है." (इनपुट - आईएएनएस)
आंकड़े बताते हैं कि इस बीमारी से दुनियाभर में करीब 19.5 करोड़ महिलाएं ग्रस्त हैं और तकरीबन हर साल इस बीमारी से छह लाख महिलाओं की मौत हो रही है. क्रोनिक किडनी डिजीज होने के कई कारण हैं जिसमें सबसे प्रमुख मधुमेह और मोटापा है. इसके अलावा हाई बीपी, किडनी से जुड़ा पारिवारिक इतिहास, पथरी और एंटीबायोटिक दवाइयों का जरुरत से ज्यादा इस्तेमाल शामिल है.
लखनऊ के एसजीपीजीआईएमएस के डॉ. (प्रोफेसर) नारायण प्रसाद का कहना, "सीकेडी की रोकथाम और इसे बढ़ने से रोकने के लिए ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को नियंत्रित करना सबसे बढ़िया तरीका हो सकता है. हालांकि वर्तमान स्थिति में जब लोग अस्वस्थ जीवनशैली बिता रहे हैं, तो इन स्थितियों को संभालना ज्यादा मुश्किल हो जाता है."
सीकेडी के बारे में महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा जानकारी देकर उन्हें इस बीमारी से बचाया जा सकता है. अगर बीमारी का समय रहते पता चल जाए तो इसकी गति को खानपान में बदलाव, धूम्रपान बंद कर, वजन नियंत्रित और दवाइयों की मदद से कम किया जा सकता है, लेकिन अगर किडनी इतनी क्षतिग्रस्त हो गई हो कि वह काम करने में सक्षम न हो तो रोगी को डायलिसिस की सलाह दी जाती है.
डॉ. प्रसाद ने कहा, "जब यह बीमारी एडवांस स्टेज में पहुंच जाती है, तो पेरिटोनियल डायलिसिस बहुत प्रभावी होता है. यह इलाज का सुरक्षित व सुविधाजनक तरीका है, जिससे रोगी को रोजमर्रा के काम करने में दिक्कत नहीं होती. यह खासतौर से महिलाओं के लिए ज्यादा फायदेमंद है क्योंकि भारतीय परिवेश में आमतौर पर महिलाएं ही परिवार की देखभाल करती हैं. इसके अलावा, डायलिसिस से जुड़ी जटिलताएं कम होती हैं और यह रोगी की जिंदगी की गुणवता में सुधार करने में मदद करता है." (इनपुट - आईएएनएस)
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