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कोविड काल में सेहतमंद रहने में मदद कर सकती हैं ये स्मार्ट और सेंसर टैक्नोलॉजी

ऐसे में जब लोग घरों में बंद थे तो सेहत के लिए भी तकनीक का इस्‍तेमाल किया गया और कॉन्टैक्ट-लेस सॉल्यूशंस के बारे में सुनने को मिला. सेंसर की मदद से काम करने वाले स्मार्ट गैजेट का इस्तेमाल भी बढ़ा है.

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कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के बीच टैक्नोलॉजी ने अपनी एक अलग जगह बना ली है. कोविड-19 के दौरान ही लोगों ने खुद को तकनीक से जोड़ा और बहुत से लोगों ने गैजेट का इस्‍तेमाल करना सीखा, जो कभी उनसे दूर भागा करते थे. वहीं समय की जरूरत को देखते हुए बहुत से नए-नए उपकरण भी बाजार में देखने को मिले. 

ऐसे में जब लोग घरों में बंद थे तो सेहत के लिए भी तकनीक का इस्‍तेमाल किया गया और कॉन्टैक्ट-लेस सॉल्यूशंस के बारे में सुनने को मिला. सेंसर की मदद से काम करने वाले स्मार्ट गैजेट का इस्तेमाल भी बढ़ा है. आकार में छोटे होने के बावजूद ये उपकरण कई जरूरी काम करते हैं. इन सेंसर्स से कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भी मदद मिल रही है. उदाहरण के लिए, ऐसे कई बैंड और स्मार्टवॉच हैं, जिनमें लगे एसपीओ2 सेंसर से ख़ून में ऑक्सीजन के स्तर का पता लगाया जा सकता है.

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एसपीओ2 तकनीक कैसे काम करती है?

स्मार्टवॉच या बैंड ख़ून में ऑक्सीजन के स्तर को मापने के लिए रिफ्लेक्सिव ऑक्सीमेट्री का इस्तेमाल करते हैं, वहीं सामान्य ऑक्सीमीटर में ट्रांसमिटेंस ऑक्सीमेट्री का उपयोग किया जाता है. ट्रांसमिटेंस ऑक्सीमेट्री में उपकरण के दोनों सिरों पर लगे सेंसर्स का इस्तेमाल किया जाता है. जब उंगली को ऑक्सीमीटर के बीच रखा जाता है, तो उपकरण का एक सिरा प्रकाश छोड़ता है, यह प्रकाश उंगली से गुजरता हुआ दूसरी तरफ के सेंसर तक पहुंचता है. इन सेंसर्स में फोटोडायोड्स लगे होते हैं जो प्रकाश के स्वभाव, वेवलेंथ आदि को समझकर एसपीओ2 का पता लगाते हैं.

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जबकि, स्मार्टबैंड या स्मार्टवॉच में इस्तेमाल की जाने वाली रिफ्लेक्सिव ऑक्सीमेट्री में नीचे की तरफ से निकले प्रकाश से एसपीओ2 को मापा जाता है, इसमें सेंसर त्वचा के नीचे के ख़ून पर निगाह रखते हैं. इसमें प्रकाश छोड़ने वाले और प्रकाश को पढ़ने वाले दोनों ही तरह के सेंसर्स एक ही तरफ लगे होते हैं.

एसपीओ2 और कोविड-19
ख़ून में ऑक्सीजन के स्तर का कम होना नोवल वायरस से संक्रमित होने के शुरुआती लक्षणों में से एक है. शरीर के तापमान और रक्तचाप की तरह ही ख़ून में ऑक्सीजन का स्तर भी एक महत्वपूर्ण संकेत है जिससे हमारे शारीरिक स्वास्थ्य की जानकारी मिलती है. ऐसे कई उदाहरण हैं जहां लोगों को समय पर इलाज और सहायता इसलिए मिल पाई क्योंकि वे अपने ख़ून में ऑक्सीजन के स्तर की निगरानी कर रहे थे. ऐसी भी ख़बरें आईं कि महामारी के भयानक असर को देखते हुए सरकारों ने भी लोगों को ऑक्सीमीटर बांटे ताकि लोग अपने ख़ून में ऑक्सीजन के स्तर को माप कर समय पर इलाज ले सकें.

गुरुग्राम के मेडहारबर हॉस्पिटल केमेडिकल डायरेक्टर, डॉ. एच.एन बजाज के अनुसार,“स्मार्ट वॉच में लगे हेल्थ सेंसर्स ने एसपीओ2 और पल्स स्तर की जांच करने को लेकर लोगों को जागरूक किया है. इन सेंसर्स से रोज़ाना की शारीरिक गतिविधियों पर नज़र रखने में भी मदद मिलती है. सही कहें तो सेंसर और स्मार्ट उत्पादों का महत्व स्मार्टवॉच से कहीं बढ़कर है क्योंकि इनके इस्तेमाल से हमें सैनिटाइज़र की बोतलों, दरवाज़ों के हैंडल और बिजली के स्विच जैसी चीज़ों तक कॉन्टेक्टलेस पहुंच हासिल हुई है.” डॉक्टर बजाज ने कहा कि स्मार्ट टैक्नोलॉजी के कारण हम पहला लक्षण दिखाई देते ही डॉक्टर की सलाह लेने में सक्षम हुए है और कोविड- 19 जैसे संक्रमण को रोकने में इस जागरूकता की भूमिका सबसे अहम है.

स्वदेशी वेयरेबल और ऑडियो ब्रैंड, फायर-बोल्ट, जिसने पिछले कुछ महीनों में एसपीओ2 स्मार्टवॉच की व्यापक रेंज पेश की है, की सह-संस्थापक, आयुषी किशोर ने कहा, “अपने स्वास्थ्य की निगरानी के लिए बहुत सारे उपकरणों का इस्तेमाल करना सही नहीं है. सबसे अच्छा विकल्प यही है ऐसी किफायती स्मार्टवॉच खरीदें जो आपके स्वास्थ्य से जुड़े सभी ज़रूरी मापदंडों पर निगाह रखे.” साथ ही उन्होंने कहा कि महामारी के समय एसपीओ 2 मॉनिटर वाली किफायती स्मार्टवॉच यूज़र्स के लिए सबसे बेहतरीन उपहार है.

भारतीय के एक अन्य ऑडियो और वेअरेबल ब्रैंड, क्रॉसबीट्स के सह-संस्थापक अर्चित अग्रवाल का मानना है कि कोविड के समय स्मार्टवॉच लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं. “महामारी से जूझ रहे लोगों के लिए स्मार्टवॉच किसी वरदान से कम नहीं है. स्मार्टवॉच के ज़रिए एसपीओ2 पर निगाह रखकर लोग शुरुआती दौर में ही संक्रमण का पता लगा सकते हैं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम अपनी जीवनशैली में किस उपकरण का इस्तेमाल करते हैं, ज़रूरी यह है कि हम ऐसी टैक्नोलॉजी को अपनाएं जिससे हमें हमारे स्वास्थ्य पर बेहतर नज़र रखने में मदद मिले.”

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