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Disadvantages Of Eating Fish: फिश खाने से होते हैं ये गंभीर नुकसान, जानें बिना साइडइफेक्ट के कैसे करें मछली का सेवन

Which Fish Is Not Good For Health?: मछली न्यूट्रिशन का पावरहाउस है, इसमें कोई शक नहीं, लेकिन कुछ कमियां भी हैं. इन्हें भी जानिए.

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मछली ओमेगा 3 फैटी एसिड का एक बड़ा स्रोत है और इसमें अच्छी गुणवत्ता वाले प्रोटीन होते हैं.

मछली बैलेंड डाइट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. ऐसा माना जाता है कि मछली को डाइट में शामिल करने से कई बीमारियों को रोका और ठीक किया जा सकता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि यह ओमेगा 3 फैटी एसिड का एक बड़ा स्रोत है और इसमें अच्छी गुणवत्ता वाले प्रोटीन होते हैं. यह हमारे हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर होने के साथ-साथ संतृप्त फैटी एसिड में भी कम है. मछली पोषण का पावरहाउस है, इसमें कोई शक नहीं. लेकिन कुछ कमियां भी हैं. पोषण विशेषज्ञ अंजलि मुखर्जी ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में उनकी चर्चा की. वह लिखती हैं, "भले ही मछली अपने स्वास्थ्य लाभों के लिए जानी जाती है, हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि इसमें भारी धातुएं भी होती हैं जो कि समय के साथ जमा हो जाती हैं. ये मछली के तैलीय भागों में जमा हो जाते हैं." यह वाटर बॉडीज में छोड़े गए अपशिष्ट का परिणाम है. बड़ी मात्रा में अपशिष्ट उत्पाद लापरवाही से पानी में फेंके जाते हैं जो न केवल जल निकायों को बल्कि मछलियों को भी प्रदूषित करते हैं. मछलियां इन अपशिष्ट प्रोडक्ट्स का सेवन करती हैं और भारी धातुएं धीरे-धीरे उनके शरीर में जमा हो जाती हैं.

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ऐसी मछली के सेवन से क्या नुकसान होते हैं? यहां कुछ समस्याएं हैं:

1. अक्सर हेल्दी कोशिकाओं को हुई क्षति पीढ़ियों को प्रभावित कर सकती है. कोशिका म्यूटेशन का जोखिम भी बढ़ जाता है जो पीढ़ियों को आनुवंशिक असामान्यताओं के प्रति संवेदनशील बना सकता है.

2. बच्चों और गर्भवती महिलाओं को मछली से अत्यधिक पारे के संपर्क में आने का खतरा बढ़ सकता है. पारा की एक हाई डोज अजन्मे भ्रूण और एक छोटे बच्चे के तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित करती है.

3. इससे डायबिटीज का खतरा भी बढ़ सकता है.

तो हम मछली को सही तरीके से कैसे खाएं? पोषण विशेषज्ञ अंजलि मुखर्जी मछली को सही तरीके से खाने के लिए कुछ टिप्स देती हैं ताकि हम प्रदूषित मछली से प्रभावित न हों. यहां कुछ टिप्स हैं:

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1. ऐसी मछली का सेवन करें जिसमें पारा कम हो, जैसे पोमफ्रेट और हिलसा, हफ्ते में 3-4 बार.

2. ऐसी मछली का सेवन करें जिसमें पारा मध्यम हों, जैसे झींगा मछली और रोहू, महीने में अधिकतम 5-6 बार.

3. ट्यूना और स्वोर्डफ़िश जैसी हाई पारा सामग्री वाली मछली का सेवन न करें.

यहां उनकी पोस्ट है:

A post shared by Anjali Mukerjee (@anjalimukerjee)

Make sure that your body does not get adversely affected by eating the wrong kind of fish.

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