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कीमोथेरेपी के दर्द से राहत दिला सकता है दूध!

कीमोथेरेपी-प्रेरित परिधीय न्यूरोपैथी का प्रभाव इलाज पूरा होने के बाद भी बना रह सकता है. इससे कैंसर के मरीज की जीवन की गुणवत्ता गंभीर रूप से प्रभावित होती है.

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दूध में पाया जाने वाला एक विटामिन कीमोथेरेपी दवाओं की वजह से होने वाले तंत्रिका दर्द को रोकने और इलाज में उपयोगी हो सकता है. एक शोध में यह बात सामने आई है. शोधकर्ताओं ने दूध में मौजूद निकोटिनामाइड रिबोसाइड (एनआर) के प्रभाव का अध्ययन किया. यह विटामिन बी3 का एक प्रकार है. इसका इस्तेमाल पैक्लिटैक्सेल के साथ मादा चूहों पर किया गया.

कीमोथेरेपी का इस्तेमाल आमतौर पर स्तन और गर्भाशय कैंसर इलाज के लिए किया जाता है.

कीमोथेरेपी से कैंसर से बचने की दर में इजाफ हुआ है. उपचार की इस प्रक्रिया में इस्तेमाल की जानी वाली दवाओं के कई दुष्प्रभाव भी होते हैं, इसलिए जीवित बचे लोगों और रोगियों के जीवन गुणवत्ता में ह्रास होना लाजिमी है.

खासतौर पर कई कैंसर-रोधी दवाएं कीमोथेरेपी प्रेरित परिधीय न्यूरोपैथी (सीआईपीएन) से तंत्रिका यानी नसों को नुकसान पहुंचता है और मरीज को असहनीय दर्द होता है.

अमेरिका के आईओवा विश्वविद्यालय के शोधकर्ता मार्ता हामिटी ने कहा, "कीमोथेरेपी-प्रेरित परिधीय न्यूरोपैथी का प्रभाव इलाज पूरा होने के बाद भी बना रह सकता है. इससे कैंसर के मरीज की जीवन की गुणवत्ता गंभीर रूप से प्रभावित होती है."

हामिटी ने कहा, "हमारे निष्कर्ष इस विचार का समर्थन करते हैं कि एनआर का इस्तेमाल कैंसर मरीजों में सीआईपीएन को कम करने में या रोकने में इस्तेमाल किया जा सकता है. इससे उनके जीवन की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार होगा." इस शोध का प्रकाशन पत्रिका 'पेन' में किया गया है.
 

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