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कैसे बनती है...
चॉकलेट कोको के पेड़ के हिस्सों से बनती है, जिसे लैटिन में 'थियोब्रमा काकाओ' के नाम से जाना जाता है.
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डार्क चॉकलेट में पाए जाने वाले फ्लेवनॉल्स स्वाद में कड़वे होते हैं. चॉकलेट जितनी कम कड़वी होती है, उतने ही एन्टी-ऑक्सीडेंट कम होंगे.
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एक अध्ययन के मुताबिक खाने के बाद स्वीट के रूप में डार्क चॉकलेट लेने से वज़न को कंट्रोल किया जा सकता है.
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डार्क चॉकलेट में मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड होते हैं, जो मेटाबॉलिज़्म को बेहतर कर फैट को बर्न करने के लिए जाने जाते हैं.
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एक अध्ययन में पाया गया है कि डार्क चॉकलेट धमनियों में लचीलापन लाती है और श्वेत रक्त कोशिकाओं को नसों से चिपके रहने से रोकती है.
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डार्क चॉकलेट घुलनशील फाइबर, एन्टी-ऑक्सीडेंट, फाइबर, आयरन, मैग्नीशियम, कॉपर, मैंगनीज़, पोटैशियम, फॉस्फोरस, ज़िंक और सेलेनियम से भरपूर है.
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कम मात्रा में डार्क चॉकलेट लेने से एलडीएल कम हो सकता है, जो खराब कोलेस्ट्रॉल है और एचडीएल बढ़ता है, जो अच्छा कोलेस्ट्रॉल है.
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एक शोध के अनुसार डार्क चॉकलेट आपको फोकस करने में मदद करती है. यह मेमोरी को तेज़ करने में भी मददगार है.
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जर्नल हार्ट में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार रोज़ चॉकलेट खाने से हृदय रोग और स्ट्रोक का जोखिम कम हो सकता है.
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नोट : आहार में किसी भी तरह का बदलाव डॉक्टरी सलाह के बिना न करें.
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