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पानी की कमी से जहां डी-हाइड्रेशन, यानी निर्जलीकरण का ख़तरा बढ़ जाता है, वहीं ज़्यादा पानी पीने से ओवरहाइड्रेशन की शिकायत हो सकती है.
ख़तरनाक है ज़्यादा पानी!
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खून हो सकता है पतला
बहुत सारा पानी पीने या शरीर से इसे हटाने का एक प्रभावी तंत्र न होने से शरीर में पानी इकट्ठा हो सकता है. यह रक्त में महत्वपूर्ण पदार्थों को डाइल्यूट या पतला करता है.
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किडनी पूरे पानी को शरीर से बाहर निकालने में सक्षम नहीं होती. इससे इलेक्ट्रोलाइट का बैलेंस बिगड़ता है, जिससे पानी शरीर में जमा हो जाता है और वज़न बढ़ जाता है.
बढ़ता है वज़न
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ज़्यादा मात्रा में पानी पीते हैं, तो यह ब्लड प्रेशर में तेजी से घुल सकता है. जहां यह शरीर के तरल पदार्थों को पतला करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है.
ब्लड प्रेशर पर असर
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शरीर में पानी के स्तर में वृद्धि के कारण कोशिकाएं सूखने लगती हैं. यह सूजन कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है, जो जानलेवा भी साबित हो सकती हैं.
कोशिकाओं पर असर
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ज़्यादा सोडियम और कम पोटैशियम के सेवन से प्यास बढ़ सकती है. ज़्यादा नमक खाने वालों को ज़्यादा प्यास लगती है, क्योंकि यह सेल्स से पानी को बाहर निकालता है.
क्यों लगती है ज़्यादा प्यास!
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ओवरहाइड्रेशन के कुछ सामान्य लक्षणों में मतली और उल्टी, सिरदर्द, मानसिक स्थिति में परिवर्तन - जैसे भ्रम या विचलन आदि शामिल हैं.
ओवरहाइड्रेशन के लक्षण
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ओवरहाइड्रेशन का असर किडनी पर होता है, जो पानी को फिल्टर करती हैं. ज़्यादा पानी पीने से इन पर बोझ ज़्यादा पड़ता है, और लंबे समय में किडनी फेल होने का खतरा बढ़ता है.
घातक है ओवरहाइड्रेशन
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हर दिन 2 से ढाई लीटर फ्लूइड, जिसमें चाय, कॉफी, जूस जैसी चीजें शामिल हैं, शरीर के लिए काफी हैं. आउटडोर काम करने वालों को ज़्यादा तरल की ज़रूरत हो सकती है.
दिन में कितना पानी?
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पानी का आदर्श स्तर एक दिन में आठ से दस गिलास का है. यह व्यक्ति की ऊंचाई, वज़न और व्यायाम पैटर्न के आधार पर भिन्न हो सकता है.
दूसरा पैमाना
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और हेल्थ टिप्स के लिए
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