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क्या होता है सोराइसिस
यह ऑटोइम्यून रोग इम्यून सिस्टम के बिगड़ने से होता है. जब खून के टी सेल्स अपनी ही त्वचा को बाहरी मानकर नष्ट करने लगते हैं.
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सोराइसिस के लक्षण
त्वचा पर सूजन, लाल चकत्ते बन जाते हैं. इसमें शरीर, त्वचा के सेल्स का ओवर प्रोडक्शन करने लगता है. और नए सेल्स पपड़ी के रूप में जम जाते हैं.
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हाथ, पैर या सिर की त्वचा पर लाल चकत्ते, त्वचा में खुजली, जोड़ों में सूजन और जकड़न जैसे लक्षण उभरते हैं.
लक्षण
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सोराइसिस लाइलाज नहीं है, यह पूरी तरह ठीक हो सकता है. साथ ही यह संक्रामक भी नहीं, यानी यह एक से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता.
संक्रमण का खतरा
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यह जेनेटिक हो सकता है. तनाव, धूम्रपान, शराब, जख्म, सनबर्न और हाई ब्लड प्रेशर, लीथियम या एंटी-मलेरियल दवाएं भी कारण हो सकती हैं.
कारण
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एक अध्ययन में पाया गया कि सोराइसिस से पीड़ित में आत्मसम्मान में कमी, मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन जैसी परेशानियां देखी गई हैं.
अन्य जोखिम
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प्लॉक सोराइसिस : 80 से 90 फीसदी मामले इसी के होते हैं. इसमें कोहनियों, घुटनों, लोअर बैक और खोपड़ी पर 1 से 10 सेंटीमीटर के चकत्ते हो जाते हैं.
सोराइसिस के प्रकार
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डॉक्टरों के अनुसार प्लॉक सोराइसिस आमतौर पर आर्मपिट और जननांगों पर नहीं होता. 50 फीसदी मामलों में यह खोपड़ी पर उभरता है.
कहां नहीं होता प्लॉक सोराइसिस!
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यह 30 साल से कम उम्र के लोगों में देखने को मिलता है. यह धड़, सिर, बाजुओं और टांगों पर अधिक होता है.
गटेट सोराइसिस
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यह टॉन्सिलाइटिस, सांस से जुड़ी परेशानी और गले के वायरल संक्रमण की वजह से हो सकता है. कई दवाओं का रिएक्शन भी इसकी वजह हो सकता है.
गटेट सोराइसिस के कारण
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यह वयस्कों में ज़्यादा होता है. इसमें दूर-दूर पस भरे छाले हो जाते हैं और त्वचा पर लालिमा व सूजन आ जाती है. यह आमतौर पर हाथों व पैरों में होता है.
पस्चलर सोराइसिस
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एनीमिया, खुजली, बुखार, तेज पल्स, इसकी वजह हो सकते हैं. इलाज में देरी होने पर कार्डियोरेस्पिरेटरी सिस्टम फेल होने से जानलेवा स्थिति बन सकती है.
जानलेवा हो सकता है!
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यह हथेलियों और पैर के तलवों पर होता है. शुरुआत में चकत्ते लाल और बाद में भूरे हो जाते हैं. धूम्रपान करने वाले इसकी चपेट में जल्दी आते हैं.
पलमोप्लांटर पश्चुलोसिस
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इसे हिडन सोराइसिस भी कहते हैं. यह बगलों, छाती, ग्रोइन और प्रजननांगों पर होता है. इसके ज़्यादातर मरीजों में प्लॉक सोराइसिस भी हो जाती है.
इन्वर्स सोराइसिस
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यह गम्भीर स्थिति है. यह बड़े भाग पर होती है और इसमें अक्सर बुखार रहता है और मरीज जल्दी-जल्दी बीमार होने लगता है. यह जानलेवा हो सकता है.
अर्थोडेरमिक सोराइसिस
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सोराइसिस का यह टाइप हाथ-पैरों की अंगुलियों व अंगूठे के नाखूनों में होता है. गम्भीर मामलों में नाखून उखड़ने लगते हैं.
नेल सोराइसिस
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एन्टी-बायोटिक, रीहाइड्रेशन और क्रीम्स का इस्तेमाल किया जाता है. इलाज और दवाओं का चयन आपकी स्थिति और डॉक्टर पर निर्भर करता है.
इलाज
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इससे बचाव का कोई ऐसा प्रमाणित तरीका तो नहीं. लेकिन खान-पान और लाइफस्टाइल में बदलाव कर इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है.
बचाव
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सेहत के खज़ाने से जुड़ी
जानकारी के लिए
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