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क्या होता है...?
यह मानसिक रोग है. शरीर में कंपकंपी, कठोरता, संतुलन और तालमेल जैसी समस्याएं होती हैं. शुरुआत में कम होता है और समय के साथ पूरे शरीर में फैल सकता है.
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पार्किन्सन्स की बीमारी आमतौर पर तब होती है, जब किसी व्यक्ति के मस्तिष्क में तंत्रिका तंत्र संबंधी कोशिकाएं कमज़ोर पड़ने लगती हैं.
कब होता है...?
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कई बार नर्वस सिस्टम की कोशिकाएं टूटने या नष्ट होने या ज़रूरी हॉर्मोन्स की कमी होने पर पार्किन्सन्स की दिक्कत हो सकती है.
दिमाग के लिए
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लगातार कंपकंपी होना, कार्यक्षमता घटना, मांसपेशियों में अकड़न, बात करने में परेशानी, लिखने में दिक्कत जैसे लक्षण शामिल हैं.
लक्षण
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पार्किन्सन्स जेनेटिक भी हो सकता है, वायरस के संपर्क में आना, दिमाग की नस दबना, सिर की चोट, प्रदूषण या केमिकल-युक्त वातावरण वगैरह.
कारण
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यह पूरी तरह ठीक नहीं हो पाता, पर स्थिति को संभाला और सुधारा जा सकता है. कुछ थेरेपीज़ की मदद से इसे नियंत्रित किया जा सकता है.
इलाज
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कई बार डॉक्टर सर्जरी का सुझाव देते हैं. यह पूरी तरह डॉक्टर पर निर्भर करता है कि वह मरीज़ की स्थिति के लिए क्या बेहतर समझते हैं - दवाएं, थेरेपी या सर्जरी.
सर्जरी...
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पार्किन्सन्स का बड़ा कारण होता है फैमिली हिस्ट्री. अगर परिवार में किसी को पहले यह दिक्कत रही हो या हो, तो बाकी सदस्यों को स्वस्थ जीवनशैली अपनानी चाहिए.
रोकथाम के तरीके
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तनाव आपके दिमाग पर असर करता है, इसलिए तनाव से दूर रहें. यह हॉर्मोन्स असंतुलन का कारण बन सकता है, जो पार्किन्सन्स की वजह हो सकता है.
रोकथाम के तरीके
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रोगों से बचने के लिए संतुलित आहार ज़रूरी है. पार्किन्सन्स के खतरे को कम करने के लिए हेल्दी डाइट और योग का सहारा लें.
बचाव के लिए
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