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लैक्टोस इन्टॉलरेंस पाचन संबंधी विकार है. यह एक तरह का रोग है, जो दूध या दूसरे डेयरी उत्पादों की वजह से होता है.
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लक्षण
इस में शरीर लैक्टोस को पचा नहीं पाता और पीड़ित को इन्हें लेने से दस्त, गैस या पेट फूलने की समस्या होने लगती है.
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छोटी आंत में मौजूद लैक्टोस नाम का एन्ज़ाइम जब कम हो, तो यह लैक्टोस इन्टॉलरेंस की समस्या की वजह हो सकता है.
क्यों होता है
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अभी कोई इलाज मौजूद नहीं है, लेकिन डेयरी उत्पादों की मात्रा कम कर इससे राहत पाई जा सकती है.
इलाज
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लैक्टोस इन्टॉलरेंस झेल रहे लोगों को कैल्शियम और विटामिन डी के सप्लीमेंट्स की ज़रूरत पड़ सकती है.
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दूध कैल्शियम का एकमात्र स्रोत नहीं है. इसके अलावा भी बहुत-से ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जो कैल्शियम की पूर्ति कर सकते हैं.
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एक स्टडी के अनुसार जिन देशों में दूध का सबसे ज़्यादा सेवन किया जाता है, वहां भी फ्रैक्चर के मामलों की दर ज़्यादा है.
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फुल क्रीम मिल्क में सैचुरेटेड फैट और सोडियम की मात्रा बहुत ज़्यादा होती है. जो दिल और ब्लड प्रेशर के लिए बुरी मानी जाती है.
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एक अध्ययन के अनुसार दुनियाभर में तकरीबन 65 फीसदी आबादी को लैक्टोस से परेशानी है.
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जिन्हें लैक्टोस से परेशानी है, वे अपने आहार में सोया प्रोडक्ट और कैल्शियम के दूसरे स्रोत, जैसे - ऑरेंज जूस, टोफू को शामिल कर सकते हैं.
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