तमाम कोशिशें हो रही हैं फेल, नहीं कम हो पा रहा बैली फैट? तो छोड़नी होंगी ये चीजें

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विटामिन और प्रोटीन से भरपूर होने के बावजूद, रेड मीट  वजन बढ़ने का कारण होता है. इसमें प्रोसेस्‍ड फैट, सोडियम और सैचुरेटेड की मात्रा अधिक होती है, जिससे वॉटर रिटेंशन और सूजन होती है. 

रेड मीट

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एक सब्जी होने के बावजूद, मक्का कैलोरी और चीनी से भरपूर होता है. मकई में अत्यधिक फ्रुक्टोज जूस और स्टार्च होने के चलते हाई ब्‍लड शुगर और फैट एक्यूमुलेशन हो सकता है.

मक्का

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पेय पदार्थों में एडेड शुगर से वेट और मोटापा बढ़ता है. रिफाइंड शुगर से भरी शुगर ड्रिंक, लीवर पर वजन डालते हैं, एक्‍स्‍ट्रा फ्रुक्टोज को फैट में में परिवर्तित करते हैं. जिससे वजन कम करना मुश्किल हो जाता है.

रिफाइंड शुगर

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व्‍हाइट ब्रेड, और व्‍हाइट राइस- इन अनाजों में पोषण मूल्य की कमी होती है. वे ब्‍लड शुगर के लेवल को बढ़ाते हैं, विशेष रूप से पेट के आसपास फैस संचय करते हैं.

रिफाइंड अनाज

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जबकि फल पोषक तत्वों के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन कुछ फल जैसे लीची, चेरी, चीकू और आम में हाई फ्रुक्टोज होते हैं. बड़ी मात्रा में फ्रुक्टोज पेट में फैट जमा होने का कारण बन सकता है.

फल

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हाई सोडियम के कारण पानी जमा हो जाता है, जिससे फ्लेट टमी पाना कठिन हो जाता है. डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों में अक्सर हाई सोडियम होता है.

हाई सोडियम

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कुकीज़ और चिप्स जैसे प्रोसेस्‍ड फूड में, ट्रांस फैट को बेली एरिया में ले जाते है, जिससे यह फैट एक्यूमुलेशन के प्रति ससेप्टिबल हो जाता है. इसलिए ट्रांस फैट के सेवन से बचें.

ट्रांस फैट

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सेहत के खज़ाने से जुड़ी
जानकारी के लिए

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